आइए आज इश्क़ की शिद्दत से आपको रूबरू कराते हैं :-
एक आशिक़ का जिस्म मेहबूब की चाह में मर गया है तब भी उसे चैन नहीं आया है..कब्र में वह मिट्टी बन चुका है फिर भी उसकी मिट्टी महबूब से मिलने को मचल रही है और एक आंधी बनकर अपने माशूक के दरवाजे पर आ गिरती है।।
करार - चैन, गुबार - आंधी , ख़ाक- मिट्टी
फना होकर भी इश्क़ में
कहां हमें करार आया
मेरी कब्र की खाक का भी देख
तेरे दर पर कैसा गुबार आया ।।
ये इश्क़ नहीं आसान इतना ही समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है ।।
- जिगर मुरादाबादी
कहा होगा कभी किसी बड़े शायर ने
कि ये इश्क़ एक आग का दरिया है
मगर ना जाने हमें क्यूं लगता है कि ये
ख़ुदा को खुश करने का एक जरिया है।।
- कुंवर शार्दूल
मोहब्बत से हैैं होते दिल रोशन
मोहब्बत से ही खिलते हैं दिल
मोहब्बत से ख़ुश होता है खुदा
तू जिससे मिल मोहब्बत से मिल।।
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